यादों का सहारा कल तक जीने के लिए काफी था
अब आँखों को नींद है कि आती नही
अब जब गुजरता हूँ उन्ही वादियों से फिर कभी
जो हसीं लगती थी कल तक वो अब दिल को भाती नही
वो सांसों कि गर्मियां जेहन मै भी हैं अब भी बसीं
पर अब क्या हुआ जो धडकने फिर से तेज हो जाती नही
अब गेसुयों कि खुशबू ख्यालों मै तो हैं मगर
क्या हुआ जो अब वो गेसू खुल के बिखर जाती नही
वो छेड़ जाना नजरों से सबसे नजर बचा कर के
क्या हुआ उन नजरों को , कि अब वो शोखियाँ आती नही
वो अपलक देखना तेरा जब भी गुजरना पास से
और वो सहेलियों का कहना कि एक तू है कि शर्माती नही
सबका पूछना कि चेहरे पे तो दीखती हैं शुर्खियाँ तेरे
और एक तू है कि हम से कुछ बताती नही
अब भी करती हैं परेशां बस वही मुहब्बत कि बातें
कोशिश करता हूँ बहुत पर वो सरगोशियाँ भूल पाती नही
भूल के ना भूल पाया हूँ मै उस भूल को
जीने का दिल करता नही पर मौत है कि आती नही ,
bahut sundar kavita hai ye ..jo har ek premi ke anubhav ko ankit karti hai ..
अब गेसुयों कि खुशबू ख्यालों मै तो हैं मगर
क्या हुआ जो अब वो गेसू खुल के बिखर जाती नही
वो छेड़ जाना नजरों से सबसे नजर बचा कर के
क्या हुआ उन नजरों को , कि अब वो शोखियाँ आती नही
These lines are fantastic !
Holy~Devil
its nice sir…
wow! u r really crazy abt urself
really impressd
Really heart Touchable Poem. Thanks Maa Sharde ki kripa bani rahe.