अभी नही पर कभी तु मुझ पर मरती थी की नही,
दिल में मेरा नाम ले कर के आन्हे भरती थी की नही,
माना आज बेगानी बन गयी है तु,
एक अजनबी के दिल की रानी बन गयी है तु
ये बता दे प्यार तु मुझसे कभी करती थी की नही
होंठो पे ले के नाम , कभी आन्हे तु भी भरती थी की नही
याद है मुझे ,
सीने से लगा के किताबों को जब तु कॉलेज आती थी,
सीने से लगने का ख्वाब मेरा , तु तोड जाती थी,
तुझे अकेले देख मेरा दिल पता नही क्यूँ मचलता था,
तू मेरी बाँहों में आने को कभी मचलती थी की कि नही
याद मुझे हे पहली बार मैने तुझे आँखों आँखों में छेड़ा था
गुस्से में तुने तब आँखों को तरेरा था ,
तब से मैं तुझसे बातें करने से डरता था
तू बता की कभी तू मुझसे डरती थी की नही
होंठो पे लेके नाम मेरा तू आंहे भरती थी नही,
ये बता दे तू प्यार मुझसे करती थी की नही .
याद है उस दिन तेरा छिपकर नजर मिला जाना
आँखों आँखों में कुछ कह जाना , और कह कर के फिर शर्माना ,
ये बता की उस वक्त तू मुझसे शर्माती थी की नही.
दुपट्टे का कोना होंठो से दबाती थी की नही ..
में तकिया बाँहों में ले कर रात रात भर जगता था
तू बता कि कभी मुझे तू ख्वाबों में लाती थी कि नही
कहती थी कि “राजीव” कि में दुनिया वालों से डरती हूँ.
अब बता कि तू उसके बाद किसी को बाँहों में भरती थी कि नही, .
.अभी नही पर कभी तु मुझ पर मरती थी की नही,
दिल में मेरा नाम ले कर के आन्हे भरती थी की नही,
yaaden badee sashakt taanik hotee hain, bahut sundar prastuti.
thks a lot for ur reply
bas ese hi hmara hosla bdhaiye . ma sharde chengi to aur bhi likhne ki koshish krunga
hi sir,
urated content , straight from the core of heart
i dont have the words
राजीव जी,
निःसंदेह आप अच्छा लिखते हैं.
Thnx a lot sir