मै आज खडा हूँ जिस कब्र पर,
वह कब्र किसी देश के सिपाही का है,
यह एक तोहफा गैरों के तबाही का है,
यह जो चिराग इसके पास जल रहा है
आते जाते हर रूह को ये बता रहा है,
यह मजार भी किसी महबूब के माही का है,
कह रहा है यह पास आने वाले हर राहगीर से,
कभी भी मेरी याद मै आंसू ना बहाना,
गर हो सके तो देश के वास्ते एक कतरा खून बहा जाना,
कहता है इससे बढ़ के क्या कुछ और होता है,
अरे हर आदमी ही तो देश का सिरमौर होता है |
कभी भी मेरी याद मै आंसू ना बहाना,
गर हो सके तो देश के वास्ते एक कतरा खून बहा जाना,
कहता है इससे बढ़ के क्या कुछ और होता है,
अरे हर आदमी ही तो देश का सिरमौर होता है |
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