हमारे पास ही था दुनिया का अनमोल रतन
हम अनजान थे इससे नही थे वाकिफ
पर देखा जब रोज दिलों को दफ़न होते यहाँ
सोचता हूँ इतनी गिरी चीज भी नही है दुनिया मे इश्क के माफिक
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जब वे साथ बुलाते थे उनकी नजरें नुरानी थी
जब फेरा था नजरों को तो नजरो में ना पानी थी
आज उन्होंने कहा नही फिर भी जाने क्या कहानी थी
किसी ने छुआ ना था गालों को मेरे ,
फिर भी तमाचे की निशानी थी
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मै जानता हूँ की जा रहे हो दूर हमसे
गर हो सके तो कभी मेरे कब्र को जाती डगर से आ जाना
मै तेरा चेहरा जीते जी ना देख पाउँगा अब
कबर को ही मेरे, अपना हँसता हुआ चेहरा दिखा जाना
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कल सब से पूछा था मैंने अख़बारों में देकर के इश्तिहार
कोई इस दिल को खरीदे या कोई देदे इसे प्यार ,
और आज आया भी तो मिलने तू ऐसे समय में यार
जब दिल टूटकर बिखर गया और जिन्दगी बिक गयी उधार
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ये दिल रोया था उस दिन बहुत
जब तुने मेरा नाम दिल से मिटाया था
कही सुख ना गये हो , मेरी आँखों से आंसू
शायद यही सोच आपने मेरे चेहरे से कफ़न हटाया था
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जाने क्यूँ उस शहंशाह ने पत्थरों का महल बनवाया था
जुलम किया मुमताज पर उसके जनाजे को दफनाया था
मै अपने कब्र को भी ताजमहल कहल्वाऊंगा
छुपौंगा दिल मै तुझे और खुद दफ़न हो जाऊंगा
पर डरता हूँ
लोग कहेंगे की एक और शख्स दुनिया मे आया था
दर कर कबर में छिप गया और अपनी महबूबा को भी छिपाया था .
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कल साथ किया इक अजनबी का
आज वही मेरा रहनुमा हो गया
जिस पत्थर पे सर रख रोया था कल
आज उस पत्थर को ही खुद पर गुमान हो गया
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